सपने क्यों न देखें?

अक्सर ही हमें ये समझाया जाता है की ऐसे सपने जिनका सच होना मुश्किल हो, उन्हें  देखना व्यर्थ है क्योंकि वो तकलीफ देते हैं। यह बात सत्य नहीं है। सपनों का उम्मीदें बन जाना और उन उम्मीदों का पूरा न हो पाना तकलीफ़देह  होता है।

सपने देखने में को हर्ज़ नहीं है। सपने हमें खुशी देते हैं और उनके सच होने की दिशा में बढ़ने की ताकत भी। सपने पतंग की तरह हैं, जिन्हे अगर ऊंचा उड़ना है तो उन्हें यथार्थ की डोर से बांधे रखना होगा। अगर ऐसा नहीं किया तो पतंग कहाँ जाके गिरेगी, ये किसी को पता नहीं।

सपने देखिये, उम्मीदें न पालें। और यथार्थ से जुड़े रहें।

Comments

  1. one should never get an idea without the power to acheive it.
    we should always dream big.

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